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Article 78 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-01 10:27:03
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 78

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 78
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 78: प्रधानमंत्री के कर्तव्य
अनुच्छेद 78 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के तहत आता है और यह प्रधानमंत्री के कर्तव्यों को परिभाषित करता है। यह अनुच्छेद प्रधानमंत्री की भूमिका को मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में स्थापित करता है, जो भारत की संसदीय शासन प्रणाली में उनकी केंद्रीय स्थिति को रेखांकित करता है।
अनुच्छेद 78 के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं
अनुच्छेद 78(a): प्रधानमंत्री का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों, जो प्रशासन और विधायी प्रस्तावों से संबंधित हैं, की जानकारी दे।
अनुच्छेद 78(b): प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई केंद्र सरकार के प्रशासन या विधायी मामलों से संबंधित कोई भी जानकारी प्रदान करनी होगी।
अनुच्छेद 78(c): यदि राष्ट्रपति इसे आवश्यक समझे, तो प्रधानमंत्री का कर्तव्य है कि वह किसी मामले को, जो किसी मंत्री द्वारा व्यक्तिगत रूप से तय किया गया हो, लेकिन मंत्रिपरिषद द्वारा विचार नहीं किया गया हो, मंत्रिपरिषद के समक्ष विचार के लिए प्रस्तुत करे।
अनुच्छेद 78 की मुख्य विशेषताएं
प्रधानमंत्री की केंद्रीय भूमिका: अनुच्छेद 78 प्रधानमंत्री को मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति के बीच संचार और समन्वय का प्रमुख माध्यम बनाता है। यह उनकी नेतृत्वकारी भूमिका को दर्शाता है।
सामूहिक जवाबदेही: यह अनुच्छेद मंत्रिपरिषद की सामूहिक जवाबदेही (अनुच्छेद 75(3)) को लागू करने में मदद करता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि महत्वपूर्ण निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा सामूहिक रूप से लिए जाएं।
राष्ट्रपति के साथ संचार: अनुच्छेद 78 यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति को सरकार की कार्यप्रणाली और नीतियों की पूरी जानकारी हो, जो उनकी संवैधानिक भूमिका को प्रभावी बनाता है।
पारदर्शिता और जवाबदेही: यह प्रावधान सरकार के कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, क्योंकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति को सभी महत्वपूर्ण मामलों की जानकारी देनी होती है।
संबंधित महत्वपूर्ण मुकदमे
शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य (1974) पृष्ठभूमि: इस मामले में राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच संबंधों पर विचार किया गया, जिसमें अनुच्छेद 78 की भूमिका भी शामिल थी
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 78 के तहत प्रधानमंत्री का कर्तव्य है कि वह मंत्रिपरिषद के निर्णयों को राष्ट्रपति तक पहुंचाए। यह संसदीय शासन प्रणाली में मंत्रिपरिषद की प्राथमिकता को दर्शाता है। प्रभाव: इसने अनुच्छेद 78 के तहत प्रधानमंत्री की समन्वयकारी भूमिका को स्पष्ट किया।
एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994): पृष्ठभूमि: यह मामला अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित था, लेकिन इसमें अनुच्छेद 78 की भूमिका पर अप्रत्यक्ष रूप से चर्चा हुई। निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 78 के तहत प्रधानमंत्री का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रपति को सरकार के प्रशासन और विधायी मामलों की पूरी जानकारी दे। यदि कोई निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा विचार नहीं किया गया, तो राष्ट्रपति इसे मंत्रिपरिषद के समक्ष विचार के लिए भेज सकता है।
प्रभाव: इसने अनुच्छेद 78(c) के महत्व को रेखांकित किया रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ (2006): पृष्ठभूमि: इस मामले में बिहार विधानसभा के विघटन और मंत्रिपरिषद की भूमिका पर विचार किया गया, जिसमें अनुच्छेद 78 की प्रासंगिकता थी।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अनुच्छेद 78 के तहत प्रधानमंत्री की भूमिका मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति के बीच संचार को सुनिश्चित करना है, जो संसदीय शासन प्रणाली की जवाबदेही को मजबूत करता है। प्रभाव: इसने अनुच्छेद 78 के तहत प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी को और स्पष्ट किया।
नबम रेबिया बनाम उपाध्यक्ष, अरुणाचल प्रदेश विधानसभा (2016): पृष्ठभूमि: इस मामले में राज्की प्रक्रियात्मक भूमिका को रेखांकित किया।
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