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Article 113 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 12:08:21
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 113

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 113
अनुच्छेद 113 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अंतर्गत अध्याय II (संसद) में आता है। यह भारत की संचित निधि से व्यय के लिए मांगों पर प्रक्रिया (Procedure in Parliament with respect to estimates) से संबंधित है। यह प्रावधान वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) में शामिल व्यय की मांगों को संसद द्वारा अनुमोदन की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
अनुच्छेद 113 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार
"(1) अनुच्छेद 112 के अधीन वार्षिक वित्तीय विवरण में शामिल भारत की संचित निधि से किए जाने वाले व्यय की अनुमानित राशियाँ, जो इस संविधान द्वारा उस निधि पर भारित व्यय के रूप में वर्णित हैं, को छोड़कर, लोकसभा के समक्ष मत द्वारा अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाएँगी।
(2) उपखंड (1) में निर्दिष्ट किसी भी व्यय के लिए कोई माँग तब तक प्रस्तावित नहीं की जाएगी, जब तक कि उसकी सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा न की गई हो।
(3) लोकसभा में ऐसी किसी माँग पर कोई संशोधन प्रस्तावित नहीं किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप उस माँग की राशि में परिवर्तन या कमी हो।"
विस्तृत विवरण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 113 लोकसभा को भारत की संचित निधि से व्यय के लिए प्रस्तुत मांगों (Demands for Grants) को अनुमोदित करने की शक्ति देता है। यह सुनिश्चित करता है कि मतदान योग्य व्यय (non-charged expenditure) पर संसद की निगरानी हो, जिससे लोकतांत्रिक जवाबदेही और वित्तीय पारदर्शिता बनी रहे। यह राष्ट्रपति की सिफारिश को अनिवार्य बनाता है, जिससे सरकार की वित्तीय नीतियों का संवैधानिक नियंत्रण सुनिश्चित होता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित है, जहाँ हाउस ऑफ कॉमन्स को बजट के व्यय पर नियंत्रण प्राप्त है। भारतीय संदर्भ: भारत में, लोकसभा की प्राथमिकता जनता के प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व को दर्शाती है, और यह वित्तीय मामलों में जवाबदेही सुनिश्चित करता है। प्रासंगिकता: यह बजट प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सरकार के खर्चों को संसद की मंजूरी के अधीन रखता है।
3. अनुच्छेद 113 के प्रमुख उपखंड: खंड (1): व्यय की मांगों का अनुमोदन वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) में शामिल मतदान योग्य व्यय (जो संचित निधि पर भारित नहीं हैं) को मांगों के रूप में (Demands for Grants) लोकसभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। लोकसभा के पास निम्नलिखित शक्तियाँ हैं: मांग को स्वीकार करना। मांग को अस्वीकार करना। मांग की राशि में कमी के साथ स्वीकार करना। उदाहरण: 2025 के बजट में, रक्षा मंत्रालय की माँग को लोकसभा ने चर्चा के बाद मंजूरी दी।
खंड (2): राष्ट्रपति की सिफारिश कोई भी माँग तब तक प्रस्तुत नहीं की जा सकती, जब तक कि उसकी सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा न की गई हो। उद्देश्य: यह सुनिश्चित करता है कि व्यय मांगें सरकार की नीतियों के अनुरूप हों। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर सिफारिश करते हैं (अनुच्छेद 74)। उदाहरण: प्रत्येक बजट में, वित्त मंत्री राष्ट्रपति की सिफारिश के साथ मांगें प्रस्तुत करते हैं।
खंड (3): संशोधन पर प्रतिबंध लोकसभा में मांगों पर कोई संशोधन प्रस्तावित नहीं किया जा सकता, जो माँग की राशि में परिवर्तन या कमी करता हो। उद्देश्य: यह सरकार की वित्तीय योजनाओं में अनावश्यक बदलाव को रोकता है। लोकसभा केवल माँग को स्वीकार, अस्वीकार, या राशि में कमी कर सकती है। उदाहरण: 2023 में, विपक्ष ने कुछ मांगों में कमी की माँग की, लेकिन संशोधन प्रस्तावित नहीं कर सके।
4. महत्व: लोकसभा की प्राथमिकता: यह वित्तीय मामलों में जनता के प्रतिनिधियों की भूमिका को रेखांकित करता है। वित्तीय जवाबदेही: व्यय मांगों पर संसद की निगरानी सुनिश्चित करता है। संवैधानिक संतुलन: राष्ट्रपति की सिफारिश कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन बनाए रखती है। पारदर्शिता: मांगों की चर्चा और अनुमोदन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करता है।
5. प्रमुख विशेषताएँ: मांगें: मतदान योग्य व्यय के लिए। लोकसभा की शक्ति: स्वीकार, अस्वीकार, या कमी। राष्ट्रपति की सिफारिश: अनिवार्य। संशोधन पर प्रतिबंध: राशि में बदलाव नहीं।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1991 का बजट: आर्थिक उदारीकरण के लिए मांगों को लोकसभा ने मंजूरी दी। 2020 कोविड बजट: महामारी से संबंधित मांगों पर विशेष चर्चा। 2025 बजट: डिजिटल अर्थव्यवस्था और हरित ऊर्जा के लिए मांगें।
7. चुनौतियाँ और विवाद: सीमित चर्चा: विपक्ष अक्सर मांगों पर पर्याप्त चर्चा की कमी की शिकायत करता है। संशोधन पर प्रतिबंध: विपक्ष की मांगों में बदलाव की सीमित शक्ति पर आपत्तियाँ। न्यायिक समीक्षा: मांगों की प्रक्रिया सामान्य रूप से न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं, लेकिन संवैधानिक उल्लंघन पर समीक्षा संभव।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): संसद की वित्तीय प्रक्रिया मूल ढांचे के अधीन। आधार मामले (2018): वित्तीय प्रक्रिया पर सीमित समीक्षा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। 2025 में, बजट 2025-26 की मांगें लोकसभा में चर्चा में।
प्रासंगिकता: विपक्ष ने सामाजिक कल्याण और बुनियादी ढांचे की मांगों पर जोर दिया। डिजिटल संसद पहल के तहत मांगों की प्रक्रिया रिकॉर्ड की जा रही है। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच मांगों और बजट प्राथमिकताओं पर तनाव।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण। अनुच्छेद 114: विनियोग विधेयक। अनुच्छेद 110: धन विधेयक की परिभाषा।
11. विशेष तथ्य: 2025 बजट: डिजिटल और हरित ऊर्जा मांगें। 1991 उदारीकरण: ऐतिहासिक मांगें। विपक्ष की शिकायत: चर्चा की कमी। राष्ट्रपति की सिफारिश: अनिवार्य।
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