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Article 130 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 13:16:45
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 130

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 130
नुच्छेद 130 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी अनुवाद) के अनुसार: "सर्वोच्च न्यायालय की बैठक दिल्ली में होगी या ऐसे अन्य स्थान या स्थानों पर होगी, जैसा कि भारत का मुख्य न्यायाधीश समय-समय पर राष्ट्रपति के अनुमोदन से नियत करे।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 130 सर्वोच्च न्यायालय की बैठक का प्राथमिक स्थान दिल्ली के रूप में निर्धारित करता है। यह मुख्य न्यायाधीश (CJI) को राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ अन्य स्थानों पर बैठक आयोजित करने की लचीलापन प्रदान करता है। इसका लक्ष्य न्यायिक कार्यवाही की सुगमता और न्याय तक पहुंच को सुनिश्चित करना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान अन्य लोकतांत्रिक प्रणालियों से प्रेरित है, जहाँ सर्वोच्च न्यायालय का एक स्थायी स्थान होता है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में अन्य स्थानों पर सत्र आयोजित किए जा सकते हैं। भारतीय संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 26 जनवरी 1950 को दिल्ली में हुई। अनुच्छेद 130 इसे औपचारिक रूप देता है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि सर्वोच्च न्यायालय का संचालन राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रित रहे, लेकिन विशेष परिस्थितियों में लचीलापन संभव हो।
3. अनुच्छेद 130 का विश्लेषण: प्राथमिक स्थान: सर्वोच्च न्यायालय की बैठक का डिफ़ॉल्ट स्थान दिल्ली है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण प्रशासनिक और रणनीतिक दृष्टि से उपयुक्त है। अन्य स्थान: मुख्य न्यायाधीश (CJI), राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ, अन्य स्थानों पर सत्र आयोजित कर सकता है। यह प्रावधान विशेष परिस्थितियों, जैसे क्षेत्रीय पहुंच या आपातकाल, के लिए उपयोगी है। उदाहरण: सर्वोच्च न्यायालय ने अभी तक अन्य स्थानों पर नियमित सत्र आयोजित नहीं किए, लेकिन क्षेत्रीय पीठों पर चर्चा हुई है।
4. महत्व: न्यायिक केंद्र: दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय का स्थान राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक सुविधा को दर्शाता है। लचीलापन: CJI को अन्य स्थानों पर सत्र आयोजित करने की शक्ति। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: CJI की भूमिका और राष्ट्रपति की मंजूरी संवैधानिक संतुलन बनाए रखती है। न्याय तक पहुंच: अन्य स्थानों पर सत्रों की संभावना से क्षेत्रीय पहुंच बढ़ सकती है।
5. प्रमुख विशेषताएँ: दिल्ली: प्राथमिक स्थान। CJI की शक्ति: अन्य स्थानों पर सत्र। राष्ट्रपति की मंजूरी: मंत्रिपरिषद की सलाह पर। न्यायिक लचीलापन: विशेष परिस्थितियों के लिए।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950: सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना दिल्ली में। 2000s: क्षेत्रीय पीठों की माँग, लेकिन कोई औपचारिक सत्र दिल्ली से बाहर नहीं। 2025 स्थिति: दिल्ली में ही सत्र, लेकिन क्षेत्रीय पीठों पर बहस।
7. चुनौतियाँ और विवाद: क्षेत्रीय पीठों की माँग: दक्षिणी और पूर्वी भारत से क्षेत्रीय पीठों की माँग, जो अनुच्छेद 130 के तहत संभव है। कार्यपालिका का प्रभाव: राष्ट्रपति की मंजूरी में मंत्रिपरिषद की सलाह की आशंका। लॉजिस्टिक्स: अन्य स्थानों पर सत्र आयोजित करने में संसाधन और बुनियादी ढांचे की चुनौतियाँ।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूल ढांचे का हिस्सा। एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ (1981): कार्यपालिका का सीमित प्रभाव।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। 2025 में, सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में कार्यरत, क्षेत्रीय पीठों पर चर्चा। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत सत्रों का डिजिटल रिकॉर्ड। क्षेत्रीय पहुंच और कार्यभार प्रबंधन पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच क्षेत्रीय पीठों और न्यायिक पहुंच पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 124: सर्वोच्च न्यायालय का गठन। अनुच्छेद 129: रिकॉर्ड का न्यायालय। अनुच्छेद 145: सर्वोच्च न्यायालय के नियम।
11. विशेष तथ्य: दिल्ली: स्थायी स्थान। क्षेत्रीय पीठ: माँग लेकिन लागू नहीं। 2025 चर्चा: क्षेत्रीय पहुंच। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: मूल ढांचा।
Conclusion
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