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Article 167 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-02 15:48:46
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 167

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 167
अनुच्छेद 167 भारतीय संविधान के भाग VI (राज्य) के अंतर्गत अध्याय II (कार्यपालिका) में आता है। यह मुख्यमंत्री के कर्तव्यों (Duty of Chief Minister as respects the furnishing of information to Governor, etc.) से संबंधित है। यह प्रावधान मुख्यमंत्री को राज्यपाल को प्रशासन और विधायी मामलों के बारे में जानकारी प्रदान करने का दायित्व देता है।
अनुच्छेद 167 का पाठ संविधान के मूल पाठ (हिंदी) के अनुसार
यह मुख्यमंत्री का कर्तव्य होगा कि वह
(क) राज्यपाल को मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों, जो प्रशासन और विधायी प्रस्तावों से संबंधित हों, और ऐसी सूचनाओं के बारे में सूचित करे, जैसा कि राज्यपाल समय-समय पर माँग करे;
(ख) यदि राज्यपाल ऐसा अनुरोध करे, तो मंत्रिपरिषद द्वारा किसी मामले पर लिया गया कोई निर्णय, जो किसी मंत्री द्वारा व्यक्तिगत रूप से लिया गया हो, मंत्रिपरिषद के विचार के लिए प्रस्तुत करे;
(ग) यदि राज्यपाल ऐसा अनुरोध करे, तो मंत्रिपरिषद द्वारा विचार किए जाने से पहले कोई मामला, जो किसी मंत्री द्वारा व्यक्तिगत रूप से तय किया गया हो, मंत्रिपरिषद के विचार के लिए प्रस्तुत करे।"
विस्तृत विश्लेषण
1. उद्देश्य: अनुच्छेद 167 मुख्यमंत्री को राज्यपाल के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और मंत्रिपरिषद की सामूहिक जवाबदेही सुनिश्चित करने का दायित्व देता है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्यपाल, जो राज्य की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख है, को प्रशासन और विधायी मामलों की पूरी जानकारी हो। इसका लक्ष्य संवैधानिक शासन, पारदर्शिता, और संघीय ढांचे में केंद्र-राज्य समन्वय को बनाए रखना है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय मंत्रियों को गवर्नर को सूचनाएँ प्रदान करने का दायित्व देता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में मंत्रियों और संवैधानिक प्रमुख के बीच समन्वय की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच समन्वय को औपचारिक रूप देने के लिए यह प्रावधान बनाया गया। प्रासंगिकता: यह प्रावधान राज्यपाल को संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में सूचित रखता है, विशेष रूप से संवैधानिक संकटों में।
3. अनुच्छेद 167 के प्रमुख तत्व: खंड (क): सूचना प्रदान करना: मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह राज्यपाल को निम्नलिखित के बारे में सूचित करे: मंत्रिपरिषद के सभी निर्णय, जो प्रशासन और विधायी प्रस्तावों से संबंधित हों। ऐसी सूचनाएँ, जो राज्यपाल समय-समय पर माँग करे। उदाहरण: मंत्रिपरिषद द्वारा नई शिक्षा नीति का निर्णय राज्यपाल को सूचित करना।
खंड (ख): व्यक्तिगत निर्णय पर विचार: यदि राज्यपाल अनुरोध करता है, तो मुख्यमंत्री को मंत्रिपरिषद के विचार के लिए किसी मंत्री के व्यक्तिगत निर्णय को प्रस्तुत करना होगा। यह सामूहिक जवाबदेही सुनिश्चित करता है। उदाहरण: यदि कोई मंत्री स्वतंत्र रूप से नीतिगत निर्णय लेता है, तो राज्यपाल उसे मंत्रिपरिषद के समक्ष लाने का अनुरोध कर सकता है।
खंड (ग): मंत्रिपरिषद के विचार से पहले प्रस्तुति: यदि राज्यपाल अनुरोध करता है, तो किसी मंत्री द्वारा व्यक्तिगत रूप से तय किए गए मामले को मंत्रिपरिषद के विचार के लिए प्रस्तुत करना होगा। यह सुनिश्चित करता है कि महत्वपूर्ण निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाएँ। उदाहरण: किसी मंत्री द्वारा प्रस्तावित नीति पर मंत्रिपरिषद की सहमति।
4. महत्व: संवैधानिक समन्वय: राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच सूचना का प्रवाह। सामूहिक जवाबदेही: मंत्रिपरिषद की एकजुटता। लोकतांत्रिक शासन: विधानसभा के प्रति जवाबदेही। संघीय ढांचा: केंद्र-राज्य समन्वय में पारदर्शिता।
5. प्रमुख विशेषताएँ: सूचना: मंत्रिपरिषद के निर्णय। सामूहिकता: व्यक्तिगत निर्णय पर विचार। राज्यपाल की भूमिका: सूचित रहना। पारदर्शिता: प्रशासकीय जवाबदेही।
6. ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: मुख्यमंत्रियों ने नियमित रूप से राज्यपालों को सूचनाएँ दीं। 1990 के दशक: केंद्र-राज्य विवादों में सूचना साझा करने पर जोर। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में सूचनाओं का डिजिटल रिकॉर्ड।
7. चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: राज्यपाल के अनुरोधों को केंद्र का हस्तक्षेप माना जाना। सूचना में देरी: मुख्यमंत्रियों द्वारा जानकारी साझा न करने की आलोचना। स्वविवेक का दुरुपयोग: राज्यपाल द्वारा अनावश्यक अनुरोध।
8. न्यायिक व्याख्या: केशवानंद भारती (1973): संघीय ढांचा मूल ढांचे का हिस्सा। एस.आर. बोम्मई (1994): मंत्रिपरिषद और राज्यपाल के बीच समन्वय पर चर्चा।
9. वर्तमान संदर्भ (2025): वर्तमान स्थिति: लोकसभा: अध्यक्ष ओम बिरला। राज्यसभा: सभापति जगदीप धनखड़। राष्ट्रपति: द्रौपदी मुर्मू। CJI: डी.वाई. चंद्रचूड़। CAG: गिरीश चंद्र मुरमू। 2025 में, डिजिटल और पर्यावरण नीतियों पर सूचनाएँ। प्रासंगिकता: डिजिटल संसद पहल के तहत सूचनाओं का डिजिटल रिकॉर्ड। केंद्र-राज्य समन्वय पर जोर। राजनीतिक परिदृश्य: NDA और INDIA गठबंधन के बीच सूचना साझा करने पर बहस।
10. संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 163: मंत्रिपरिषद की सलाह। अनुच्छेद 164: मंत्रिपरिषद की नियुक्ति। अनुच्छेद 177: मंत्रियों के अधिकार।
11. विशेष तथ्य: सामूहिक जवाबदेही: मंत्रिपरिषद की एकजुटता। 2025 सूचनाएँ: डिजिटल रिकॉर्ड। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। राज्यपाल: सूचित रहने का अधिकार।
Conclusion
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