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Article 204 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 10:59:22
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 204

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 204
अनुच्छेद 204 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय IV(राज्य की कार्यपालिका) में आता है। यह विनियोग विधेयक(Appropriation Bills) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्य विधानमंडल द्वारा अनुदान की मांगों के आधार पर संचित निधि से धन के विनियोग को अधिकृत करने की प्रक्रिया को परिभाषित करता है।
"(1) जैसे ही अनुच्छेद 203 के अधीन अनुदान की माँगें स्वीकार कर ली जाती हैं, एक विधेयक उस राज्य की विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा ताकि उस वित्तीय वर्ष के लिए स्वीकृत अनुदानों के आधार पर उस राज्य की संचित निधि से धन के विनियोग के लिए उपबंध किया जाए।
(2) कोई संशोधन उस विधेयक में इस प्रकार प्रस्तावित नहीं किया जाएगा कि उसमें अनुच्छेद 203 के अधीन स्वीकृत अनुदानों के अतिरिक्त किसी अन्य राशि का विनियोग शामिल हो।
(3) इस अनुच्छेद के अधीन प्रस्तुत विधेयक में कोई संशोधन इस प्रकार प्रस्तावित नहीं किया जाएगा कि उसमें अनुच्छेद 202 के खंड(3) में निर्दिष्ट व्यय को छोड़कर किसी अन्य व्यय को संचित निधि पर भारित करने का उपबंध हो।
(4) इस अनुच्छेद के अधीन प्रस्तुत विधेयक को उस राज्य की विधान परिषद, यदि कोई हो, को उसकी सिफारिशों के लिए प्रेषित किया जाएगा, और विधान परिषद को वह विधेयक प्रेषित होने की तारीख से चौदह दिन के भीतर अपनी सिफारिशें विधानसभा को भेजनी होंगी।
(5) यदि विधान परिषद उस अवधि के भीतर अपनी सिफारिशें नहीं देती है, तो वह विधेयक उस अवधि की समाप्ति पर विधानसभा द्वारा पारित माना जाएगा।
(6) यदि विधान परिषद अपनी सिफारिशों सहित विधेयक को वापस करती है, तो विधानसभा उन सिफारिशों पर विचार करेगी और यदि वह उन सिफारिशों को स्वीकार नहीं करती है, तो वह विधेयक उसी रूप में पारित माना जाएगा, जिसमें वह विधानसभा द्वारा पारित किया गया था।
(7) इस अनुच्छेद के अधीन विधेयक पर विधान परिषद की सिफारिशें स्वीकार करना या न करना विधानसभा के विवेक पर निर्भर करेगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 204 विनियोग विधेयक के माध्यम से संचित निधि से धन के विनियोग को अधिकृत करने की प्रक्रिया को परिभाषित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि अनुदान की मांगों के आधार पर ही धन का उपयोग हो। इसका लक्ष्य लोकतांत्रिक शासन, संवैधानिक जवाबदेही, और संघीय ढांचे में वित्तीय प्रक्रिया की पारदर्शिता और विधानसभा की प्रभुता को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो प्रांतीय सरकारों के लिए विनियोग प्रक्रिया को नियंत्रित करता था। यह ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में विनियोग विधेयक की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, राज्यों में वित्तीय प्रबंधन को व्यवस्थित करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 114(संसद के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान वित्तीय संसाधनों के उपयोग में विधानसभा की प्रभुता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 204 के प्रमुख तत्व
खंड(1): विनियोग विधेयक की प्रस्तुति: अनुदान की माँगें स्वीकार होने के बाद, विनियोग विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। यह विधेयक संचित निधि से वित्तीय वर्ष के लिए धन के विनियोग को अधिकृत करता है। उदाहरण: 2025 में, उत्तर प्रदेश ने बजट के लिए विनियोग विधेयक पारित किया।
खंड(2): संशोधन पर प्रतिबंध: विनियोग विधेयक में कोई संशोधन प्रस्तावित नहीं होगा जो अनुदान की मांगों से अधिक राशि का विनियोग शामिल करे। उदाहरण: विधानसभा ने अनुदान से अधिक राशि के संशोधन को अस्वीकार किया।
खंड(3): गैर-मतदेय व्यय पर प्रतिबंध: विनियोग विधेयक में कोई संशोधन संचित निधि पर भारित व्यय(अनुच्छेद 202(3)) को छोड़कर अन्य व्यय को भारित करने का प्रस्ताव नहीं करेगा। उदाहरण: गैर-संवैधानिक व्यय को भारित करने का प्रस्ताव खारिज।
खंड(4): विधान परिषद की भूमिका: विनियोग विधेयक विधान परिषद को सिफारिशों के लिए प्रेषित किया जाएगा। विधान परिषद को 14 दिन के भीतर सिफारिशें देनी होंगी। उदाहरण: विधान परिषद ने विनियोग विधेयक पर सिफारिशें दीं।
खंड(5): समय सीमा: यदि विधान परिषद 14 दिन में सिफारिशें नहीं देती, तो विधेयक विधानसभा द्वारा पारित माना जाएगा। उदाहरण: विलंब के कारण विनियोग विधेयक स्वतः पारित।
खंड(6): सिफारिशों पर विचार: विधानसभा सिफारिशों पर विचार करेगी, लेकिन उन्हें स्वीकार करना वैकल्पिक है। यदि सिफारिशें अस्वीकार की जाती हैं, तो विधेयक विधानसभा द्वारा पारित रूप में माना जाएगा। उदाहरण: विधानसभा ने सिफारिशें अस्वीकार कर विधेयक पारित किया।
खंड(7): विधानसभा का विवेक: सिफारिशें स्वीकार करना या न करना विधानसभा के विवेक पर निर्भर है।
महत्व: वित्तीय प्रभुता: विधानसभा की विनियोग पर नियंत्रण। लोकतांत्रिक जवाबदेही: निर्वाचित विधानसभा की प्राथमिकता। संघीय ढांचा: राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता। पारदर्शिता: विनियोग प्रक्रिया में स्पष्टता।
प्रमुख विशेषताएँ: विनियोग विधेयक: अनुदान आधारित। विधानसभा: पूर्ण विवेक। विधान परिषद: सलाहकार भूमिका। प्रतिबंध: संशोधन पर सीमाएँ।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: राज्यों ने विनियोग विधेयक पारित किए। 1990 के दशक: विनियोग विधेयक पर संशोधन विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में विनियोग प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: संशोधन पर प्रतिबंध: सीमित लचीलापन पर सवाल। विधान परिषद की भूमिका: सलाहकार भूमिका पर आलोचना।न्यायिक समीक्षा: विनियोग प्रक्रिया की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 202: वार्षिक वित्तीय विवरण। अनुच्छेद 203: अनुदान की माँगें। अनुच्छेद 114: संसद के लिए विनियोग।
Conclusion
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