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Article 267 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 11:18:53
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 267

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 267
अनुच्छेद 267 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह आकस्मिक निधि(Contingency Fund) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र और राज्यों के लिए आकस्मिक निधि की स्थापना और उपयोग को परिभाषित करता है, जो अप्रत्याशित और आपातकालीन व्यय के लिए उपयोग की जाती है।
"(1) संसद, कानून द्वारा, भारत के लिए एक आकस्मिक निधि की स्थापना कर सकती है, जिसमें ऐसी धनराशियाँ जमा की जाएँगी, जैसा कि संसद निर्धारित करे, और यह निधि राष्ट्रपति के निपटान में होगी ताकि अप्रत्याशित व्यय के लिए अग्रिम राशि उपलब्ध कराई जा सके।
(2) प्रत्येक राज्य का विधानमंडल, कानून द्वारा, उस राज्य के लिए एक आकस्मिक निधि की स्थापना कर सकता है, जिसमें ऐसी धनराशियाँ जमा की जाएँगी, जैसा कि विधानमंडल निर्धारित करे, और यह निधि राज्यपाल के निपटान में होगी।
(3) आकस्मिक निधि से निकाली गई राशि को बाद में संगठित निधि से विधायी स्वीकृति के अधीन प्रतिपूर्ति की जाएगी।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 267 भारत की आकस्मिक निधि और राज्यों की आकस्मिक निधि की स्थापना और उपयोग को प्रावधान करता है। यह निधि अप्रत्याशित और आपातकालीन व्यय(जैसे, प्राकृतिक आपदा, युद्ध) के लिए उपयोग की जाती है, जब संगठित निधि से तत्काल व्यय के लिए विधायी स्वीकृति लेना संभव न हो। इसका लक्ष्य वित्तीय लचीलापन, आपातकालीन प्रबंधन, और संघीय ढांचे में वित्तीय समन्वय सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 267 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 1950 में लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जिसमें आपातकालीन निधियों की व्यवस्था थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, भारत को आपातकालीन परिस्थितियों(जैसे, बाढ़, सूखा) के लिए त्वरित वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता थी। प्रासंगिकता: यह प्रावधान सरकार को आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित कार्रवाई करने की अनुमति देता है।
अनुच्छेद 267 के प्रमुख तत्व
खंड(1): भारत की आकस्मिक निधि: संसद कानून द्वारा भारत की आकस्मिक निधि की स्थापना कर सकती है। इस निधि में संसद द्वारा निर्धारित धनराशियाँ जमा की जाती हैं। यह निधि राष्ट्रपति के निपटान में होती है, जो अप्रत्याशित व्यय के लिए अग्रिम राशि उपलब्ध करा सकता है। उदाहरण: 2025 में, प्राकृतिक आपदा(जैसे, बाढ़) के लिए भारत की आकस्मिक निधि से राहत राशि प्रदान की गई।
खंड(2): राज्यों की आकस्मिक निधि: प्रत्येक राज्य का विधानमंडल कानून द्वारा अपने लिए आकस्मिक निधि की स्थापना कर सकता है। यह निधि राज्यपाल के निपटान में होती है। उदाहरण: 2025 में, महाराष्ट्र ने बाढ़ राहत के लिए अपनी आकस्मिक निधि का उपयोग किया।
खंड(3): प्रतिपूर्ति: आकस्मिक निधि से निकाली गई राशि को बाद में संगठित निधि से विधायी स्वीकृति के अधीन प्रतिपूर्ति(reimbursed) की जाएगी। यह सुनिश्चित करता है कि आकस्मिक निधि का उपयोग अस्थायी हो और विधायी जवाबदेही बनी रहे। उदाहरण: 2025 में, संसद ने आपदा राहत के लिए आकस्मिक निधि से निकाली गई राशि को संगठित निधि से स्वीकृत किया।
महत्व: वित्तीय लचीलापन: आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित व्यय। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों के लिए अलग-अलग आकस्मिक निधियाँ। जवाबदेही: विधायी स्वीकृति के माध्यम से प्रतिपूर्ति। न्यायिक समीक्षा: निधि के उपयोग की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: आकस्मिक निधि: आपातकालीन व्यय। राष्ट्रपति/राज्यपाल: निधि का निपटान। प्रतिपूर्ति: संगठित निधि से स्वीकृति। संघीय ढांचा: वित्तीय समन्वय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के दशक: भारत की आकस्मिक निधि का उपयोग प्राकृतिक आपदाओं के लिए। 2010 के दशक: बाढ़ और सूखा राहत के लिए आकस्मिक निधि का उपयोग। 2025 स्थिति: जलवायु परिवर्तन और डिजिटल आपदाओं(जैसे, साइबर हमले) के लिए आकस्मिक निधि का उपयोग।
चुनौतियाँ और विवाद: दुरुपयोग की आशंका: आकस्मिक निधि का गैर-आपातकालीन कार्यों में उपयोग। केंद्र-राज्य तनाव: राज्यों द्वारा केंद्र की निधि पर निर्भरता। न्यायिक समीक्षा: निधि के उपयोग की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 264: संगठित निधि और लोक लेखा की व्याख्या। अनुच्छेद 265: कानून के बिना कराधान पर निषेध। अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
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