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praacheen bhaarat ke itihaas ka varnan vibhinn videshee lekhakon aur yaatriyon dvaara
jp Singh 2025-05-17 20:22:14
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प्राचीन भारत के इतिहास का वर्णन विभिन्न विदेशी लेखकों और यात्रियों द्वारा

praacheen bhaarat ke itihaas ka varnan vibhinn videshee lekhakon aur yaatriyon dvaara प्राचीन भारत के इतिहास का वर्णन विभिन्न विदेशी लेखकों और यात्रियों द्वारा
प्राचीन भारत के इतिहास का वर्णन विभिन्न विदेशी लेखकों और यात्रियों द्वारा
प्राचीन भारत के इतिहास का वर्णन विभिन्न विदेशी लेखकों और यात्रियों ने किया है। इन वर्णनों में भारतीय समाज, संस्कृति, धर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था, और जीवनशैली का विश्लेषण किया गया है। विभिन्न देशों के इतिहासकारों, व्यापारियों, और यात्रियों ने भारत का दौरा किया और अपनी यात्रा रिपोर्ट्स में भारत के बारे में उल्लेख किया। यहां कुछ प्रमुख विदेशी व्यक्तियों और उनके द्वारा किए गए वर्णन का विवरण दिया गया है:
1. हेरोडोटस (Herodotus):
हेरोडोटस, जो प्राचीन ग्रीस के इतिहासकार माने जाते हैं, ने भारत का वर्णन किया था। उनका मानना था कि भारत सबसे दूरस्थ और अद्भुत जगहों में से एक था। उन्होंने भारतीय समाज की समृद्धि और विविधता का उल्लेख किया।
2. मैगस्थनीज (Megasthenes):
मैगस्थनीज, एक ग्रीक राजदूत, जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा था, ने भारत के बारे में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक
3. फाह्यान (Faxian):
फाह्यान, एक चीनी बौद्ध यात्री, ने 5वीं सदी में भारत का दौरा किया। उन्होंने भारत के बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी दी और भारतीय समाज की धार्मिक गतिविधियों का वर्णन किया। उनकी यात्रा विवरण से पता चलता है कि भारत में उस समय बौद्ध धर्म प्रबल था।
4. हुआन त्सांग (Xuanzang):
हुआन त्सांग, एक और चीनी बौद्ध यात्री, ने 7वीं सदी में भारत का यात्रा की। उन्होंने भारतीय संस्कृति, शिक्षा, और बौद्ध धर्म के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उनका यात्रा विवरण
5. अल-बीरूनी (Al-Biruni):
अल-बीरूनी, एक प्रसिद्ध मध्यकालीन अरबी विद्वान, ने भारत का गहन अध्ययन किया और अपनी पुस्तक
6. पॉलोमे (Ptolemy):
पॉलोमे, एक ग्रीक ज्योतिषी और भूगोलज्ञ, ने भी भारत के भूगोल का विवरण दिया था। उनकी
7. टॉलेमी (Ptolemy):
पॉलोमे (Claudius Ptolemy), एक प्रसिद्ध ग्रीक भूगोलज्ञ और ज्योतिषी, ने भारत के भूगोल पर महत्वपूर्ण कार्य किया था। उनकी कृति
8. अलेक्जेंडर के सैनिक:
सिकंदर महान (Alexander the Great) के साथ भारत में आने वाले उसके सैनिकों और इतिहासकारों ने भी भारत के बारे में विवरण दिया। सिकंदर की भारतीय आक्रमण के दौरान, भारतीय समाज और उसके युद्ध की तकनीकों का वर्णन किया गया। इन सैनिकों ने भारत के राजाओं, उनके युद्ध कौशल और भारतीय जीवनशैली के बारे में जानकारी दी।
9. किटो (Quito):
किटो, जो कि एक रोमानी इतिहासकार और यात्री थे, ने भारत के बारे में अपने यात्रा विवरण में भारतीय समाज की सभ्यता, कलात्मक कृतियों और धार्मिक विविधताओं का उल्लेख किया। उनके लेखन में भारतीय लोगों की जीवनशैली और उनकी सांस्कृतिक समृद्धि का चित्रण किया गया।
10. अल-मसऊदी (Al-Masudi):
अल-मसऊदी, एक अरब इतिहासकार और भूगोलज्ञ, ने 10वीं सदी में भारत के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने भारत की समृद्धि, इसकी व्यापारिक गतिविधियों और इसके लोगों की भिन्न-भिन्न संस्कृतियों का वर्णन किया। उनका कहना था कि भारत में विभिन्न प्रकार की जातियाँ और धर्म प्रचलित थे, जो कि भारत की सामाजिक संरचना को विविध बनाते थे।
11. मारको पोलो (Marco Polo):
13वीं सदी में, प्रसिद्ध वेनिस यात्री मार्को पोलो ने भारत का दौरा किया और अपनी यात्रा विवरण में भारतीय समाज, व्यापार और कलाओं के बारे में कई दिलचस्प बातें लिखीं। उन्होंने भारतीय साम्राज्यों की संपन्नता और भारतीय व्यापार के नेटवर्क का वर्णन किया। उनका कहना था कि भारतीय समाज और संस्कृति को समझना पश्चिमी दुनिया के लिए एक चुनौती था, लेकिन वे भारतीय सभ्यता की महानता से प्रभावित थे।
12. नीलकोंठ (Nikolai) और अन्य रूसी यात्री:
रूस से भी कुछ यात्री प्राचीन भारत में आए और उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म के बारे में गहन अध्ययन किया। इन यात्रियों का भारत में प्रमुख उद्देश्य बौद्ध धर्म और तंत्र-मंत्र के विषयों पर शोध करना था। इनके द्वारा किए गए वर्णन में भारतीय धार्मिक जीवन और साधना पद्धतियों का उल्लेख मिलता है।
13. अब्दुल राशिद (Abdul Rashid):
अब्दुल राशिद एक मुस्लिम इतिहासकार थे जिन्होंने भारत में मुस्लिम शासन के समय भारत के समाज का वर्णन किया। उनके लेखन में भारतीय समाज की राजनीतिक संरचना और इसके विकास की जानकारी दी गई है। उन्होंने भारत में मुस्लिम शासकों के प्रशासन, नीतियों और उनके धार्मिक आस्थाओं का भी विस्तार से विश्लेषण किया।
14. लियोनार्डो दा विंची (Leonardo da Vinci) और यूरोपीय यात्रियों:
यूरोपीय चित्रकार और वैज्ञानिक लियोनार्डो दा विंची ने भारत के बारे में बहुत कम जानकारी दी थी, लेकिन उनके समकालीन यूरोपीय यात्रियों ने भारत के बारे में काफी विवरण प्रदान किया था। इन यात्रियों ने भारत की कला, स्थापत्य और प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में लिखा था।
15. अब्दुल्ला इब्न मुहम्मद (Abdullah Ibn Muhammad):
इब्न मुहम्मद, एक अरब व्यापारी और इतिहासकार, ने भारत के व्यापारिक संबंधों और समुद्र मार्गों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने भारत के विभिन्न बंदरगाहों और व्यापारिक गतिविधियों का विस्तृत वर्णन किया, जिससे हमें प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था और समुद्री व्यापार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
16. हेरोडोटस (Herodotus):
हेरोडोटस, जिन्हें 'इतिहास के पिता' के रूप में जाना जाता है, ने अपनी कृति हिस्टोरीस में भारत का उल्लेख किया है। हालांकि, उनका भारत का वर्णन थोड़ा काव्यात्मक और सांकेतिक था, लेकिन उन्होंने भारत को एक समृद्ध और विविधतापूर्ण देश के रूप में चित्रित किया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय समाज की अद्भुतता और समृद्धि का उल्लेख किया, जैसे कि भारतीय समाज में दासों की अनुपस्थिति और भारतीयों की भौतिक शक्ति का भी वर्णन किया।
17. जुआन गार्सिया (Juan Garcia):
16वीं सदी के स्पेनिश धर्मप्रचारक और यात्री जुआन गार्सिया ने भारत के बौद्ध धर्म के पतन और हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान का उल्लेख किया। उन्होंने भारत में यूरोपीय धर्मों के प्रभाव के बारे में लिखा और बताया कि भारतीय समाज में धर्म के प्रति अडिग विश्वास था।
18. विलियम कैंपबेल (William Campbell):
विलियम कैंपबेल, एक अंग्रेज़ चिकित्सक और इतिहासकार, ने 19वीं सदी में भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का विस्तार से वर्णन किया। उनका कहना था कि भारतीय समाज में जातिवाद की जटिल संरचनाएँ थीं, लेकिन साथ ही भारतीयों का आदर्श जीवन और उनके परिश्रम को भी सराहा।
19. रिचर्ड फ्रांसिस बर्टन (Richard Francis Burton):
रिचर्ड फ्रांसिस बर्टन, एक प्रसिद्ध ब्रिटिश यात्रिका और अन्वेषक, ने 19वीं सदी में भारत का गहन अध्ययन किया और भारतीय समाज, संस्कृति, राजनीति और धर्म के बारे में लिखा। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय स्त्री, उनके अधिकारों और जीवनशैली पर ध्यान केंद्रित किया। साथ ही, भारतीय धार्मिक विविधता और विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद का भी वर्णन किया।
20. सिख यात्रियों द्वारा वर्णन:
सिख धर्म के अनुयायी भी प्राचीन भारतीय समाज पर कई गहन टिप्पणियाँ करते थे। विशेष रूप से गुरू नानक के बाद के समय में सिख यात्रियों ने भारतीय समाज के धर्म, राजनीति, और संस्कृति के बारे में विस्तार से लिखा। इन वर्णनों में विशेष रूप से धर्म परिवर्तन, धार्मिक सहिष्णुता और समाज में समानता की बातें सामने आईं।
21. जेम्स प्रिंसेप (James Prinsep):
जेम्स प्रिंसेप, एक ब्रिटिश विद्वान और पुरातत्त्वज्ञ, ने प्राचीन भारतीय लेखन और सिक्कों के अध्ययन के आधार पर भारत की प्राचीन संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए विशेष रूप से लेखन, सिक्कों और शिलालेखों का अध्ययन किया। उनकी खोजों ने भारतीय इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
22. गोंजालो फर्नांडीस (Gonzalo Fernandez):
गोंजालो फर्नांडीस, एक पुर्तगाली यात्री और लेखक, ने भारत में पुर्तगाली उपनिवेशीकरण के समय भारतीय समाज का वर्णन किया। उन्होंने भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया, विशेष रूप से पुर्तगाली मिशनरी गतिविधियों और उनके प्रभावों का उल्लेख किया। उनकी रिपोर्ट्स ने भारत के साथ यूरोपीय संपर्कों की शुरुआती कहानियों को जीवित रखा।
23. यूरी एनरिकेस (Yuri Enriquez):
यूरी एनरिकेस, एक स्पेनिश इतिहासकार, ने भारतीय समाज के आर्थिक पहलुओं, व्यापारिक नेटवर्क और जातिवाद पर विचार किया। उन्होंने 16वीं सदी के भारतीय समाज को देखा और व्यापारियों के जीवन, भारतीय उद्योगों, और विदेशों से व्यापार के संबंधों का विश्लेषण किया।
24. मार्टिन निएम (Martin Niem):
मार्टिन निएम, एक जर्मन यात्रिका, ने 19वीं सदी के मध्य में भारत का भ्रमण किया और भारतीय कला, संस्कृति, और धार्मिक जीवन पर गहरा अध्ययन किया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय चित्रकला, शिल्प कला और वास्तुकला के बारे में विवरण दिया। उनका कहना था कि भारतीय कला का पश्चिमी दुनिया से एक गहरा अंतर था, और यह अद्वितीय था।
25. वर्नोन रिचर्ड (Vernon Richard):
वर्नोन रिचर्ड, एक ब्रिटिश पुरातत्त्वज्ञ और शोधकर्ता, ने प्राचीन भारतीय शिल्पकला और वास्तुकला पर महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने भारतीय स्थापत्य कला के अद्वितीय रूपों का अध्ययन किया और उनके विवरण में भारतीय मंदिरों की वास्तुकला, मूर्तिकला और अन्य शिल्पकला की प्रगति का विस्तृत चित्रण किया।
26. लुइस लेपिस (Louis LePace):
लुइस लेपिस, एक फ्रांसीसी जर्नलिस्ट और लेखिका, ने 20वीं सदी में भारत का दौरा किया और भारतीय समाज की जटिलताओं, धार्मिक विश्वासों और सांस्कृतिक भिन्नताओं पर गहरी टिप्पणी की। उनके वर्णनों में विशेष रूप से भारतीय समाज के धार्मिक संघर्षों और जातिवाद पर प्रकाश डाला गया।
27. फ्रांसिस्को जावियर (Francisco Xavier):
फ्रांसिस्को जावियर एक पुर्तगाली मिशनरी थे, जिन्होंने 16वीं सदी में भारत का दौरा किया और वहां बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और स्थानीय परंपराओं के बारे में अपनी टिप्पणियाँ दीं। उन्होंने विशेष रूप से भारत में ईसाई धर्म के प्रचार के प्रयासों और भारतीयों के धार्मिक विश्वासों के बीच अंतर को चिह्नित किया। उनका कहना था कि भारतीय लोग अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में बहुत गहरे थे, और उनका धर्म परिवर्तन एक कठिन कार्य था।
28. अब्दुल-हसन अल-मासूदी (Abd al-Hassan al-Masudi):
अब्दुल-हसन अल-मासूदी, एक प्रसिद्ध अरबी इतिहासकार और भूगोलज्ञ, ने 10वीं सदी में भारत के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने भारत की भौगोलिक स्थिति, राजनीतिक संरचनाओं, सांस्कृतिक विविधताओं और वहां के व्यापार के बारे में लिखा। उन्होंने भारतीय समाज को प्राचीन सभ्यताओं में सबसे अग्रणी माना और कहा कि भारत का ज्ञान पश्चिमी दुनिया के लिए एक खजाना था।
29. फ्रांज माइलैंडर (Franz Millander):
फ्रांज माइलैंडर, एक जर्मन बौद्ध धर्म के विद्वान, ने प्राचीन भारत के धर्म और संस्कृति का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने भारत में बौद्ध धर्म के अवशेषों की खोज की और यह बताया कि बौद्ध धर्म ने भारत के बाहर भी अपना प्रभाव फैलाया था। उनके लेखों से यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारत का धर्म अन्य संस्कृतियों से बहुत अलग था और उसे अन्य धर्मों से अलग पहचान मिली थी।
30. टोमस हर्बर्ट (Thomas Herbert):
टोमस हर्बर्ट, एक अंग्रेज़ इतिहासकार, ने 17वीं सदी में भारत का दौरा किया और वहां की राजनीति, शाही दरबारों और सामाजिक संरचनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने विशेष रूप से मुग़ल साम्राज्य के शाही दरबार और उसके शासकों के जीवनशैली का विवरण दिया। उनके अनुसार, मुग़ल शासकों का जीवन बहुत ही भव्य और कलात्मक था, और उनके दरबार में कला और साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान था।
31. विलियम कैर (William Care):
विलियम कैर, एक ब्रिटिश मिशनरी, ने 19वीं सदी में भारत के बारे में काफी लिखा। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त शिक्षा के स्तर, समाज के धार्मिक विश्वासों और उनके प्रचलित संस्कारों का वर्णन किया। उन्होंने भारतीय समाज के सामने आने वाली समस्याओं का भी उल्लेख किया, जैसे सामाजिक असमानता और जातिवाद, और उन्हें सुधारने के लिए प्रयास किए।
32. अबू रायहान अल-बीरूनी (Abu Rayhan al-Biruni):
अल-बीरूनी, एक अरबी विद्वान, ने 11वीं सदी में भारत का गहन अध्ययन किया और भारतीय संस्कृति, धर्म, गणित और खगोलशास्त्र के बारे में बहुत विस्तार से लिखा। उनकी कृति
33. यूरी जौने (Yuri Jone):
यूरी जौने, एक रूसी पुरातत्त्वज्ञ, ने प्राचीन भारतीय कलाओं और वास्तुकला पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने भारतीय स्थापत्य कला के अद्वितीय रूपों का अध्ययन किया, विशेष रूप से भारतीय मंदिरों और उनके अद्वितीय वास्तुकला के बारे में। उनका कहना था कि भारतीय वास्तुकला में एक गहरी आध्यात्मिकता और प्रतीकात्मकता छिपी हुई है, जो पश्चिमी वास्तुकला से बहुत अलग थी।
34. एलेक्सांदर डाउ (Alexander Dow):
एलेक्सांदर डाउ, एक अंग्रेज़ इतिहासकार और विद्वान, ने 18वीं सदी में भारत का अध्ययन किया और भारत के साम्राज्यिक इतिहास पर गहरा विचार किया। उन्होंने विशेष रूप से मुग़ल साम्राज्य के पतन और ब्रिटिश साम्राज्य के आगमन के बीच के समय का विश्लेषण किया। उनके अनुसार, मुग़ल साम्राज्य की सुसंयत प्रशासनिक संरचना और राजनैतिक व्यवहार भारतीय समाज पर गहरे प्रभाव छोड़ते थे।
35. हर्बर्ट ग्रिफिन (Herbert Griffin):
हर्बर्ट ग्रिफिन, एक ब्रिटिश राजनीतिक विश्लेषक, ने 19वीं सदी में भारत की राजनीति और समाज की संरचना का विश्लेषण किया। उन्होंने भारतीय राजाओं, उनकी शासन प्रणाली और समाज की संगठनात्मक संरचना पर विचार किया। उनकी रिपोर्टों में भारतीय राजनीति के विभिन्न पहलुओं का वर्णन मिलता है, जैसे कि सामंती व्यवस्था और राजवंशों के बीच की प्रतिस्पर्धाएं।
36. मिन्हा एब्न अब्बास (Minha ibn Abbas):
मिन्हा एब्न अब्बास एक अरबी इतिहासकार और भूगोलज्ञ थे जिन्होंने 10वीं सदी में भारत के बारे में लिखा। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के भूगोल, नदियों और महत्वपूर्ण नगरों का उल्लेख किया। उनके अनुसार, भारत में नदी संस्कृतियाँ महत्वपूर्ण थीं, और भारतीय समाज में व्यापार का एक प्रमुख स्थान था। उन्होंने भारतीय समाज के धनी और विविध सांस्कृतिक रूपों को भी विस्तार से वर्णित किया।
37. थॉमस मैकेंजी (Thomas MacKenzie):
थॉमस मैकेंजी, एक ब्रिटिश सेना अधिकारी और लेखक, ने भारत के बारे में 19वीं सदी में अपने यात्रा वृतांत में लिखा। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों, उनकी धार्मिक आस्थाओं और जीवनशैली का वर्णन किया। उन्होंने भारत में जातिवाद और समाजिक असमानता की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और यह भी बताया कि भारतीय समाज में सुधार की आवश्यकता है।
38. लुइस डेलिसल (Louis Delisle):
लुइस डेलिसल, एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक और भूगोलज्ञ, ने 18वीं सदी में भारत की समुद्री और जलीय व्यापार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने भारतीय तटीय क्षेत्रों और व्यापार मार्गों की खासियतों का उल्लेख किया। उनके अनुसार, भारतीय समुद्र तटों पर बसे व्यापारी और नगरों की प्राचीनता और समृद्धि थी।
39. जॉन फिगेरो (John Figaro):
जॉन फिगेरो एक ब्रिटिश डॉक्टर और यात्री थे जिन्होंने भारत में विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों, विशेष रूप से आयुर्वेद, का गहन अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और जड़ी-बूटियों की जानकारी दी। उनका कहना था कि भारतीयों के पास प्राचीन चिकित्सा ज्ञान था, जो पश्चिमी चिकित्सा पद्धतियों से कहीं अधिक प्राकृतिक और प्रभावी था।
40. जेम्स बर्टन (James Burton):
जेम्स बर्टन, एक ब्रिटिश पुरातत्त्वज्ञ, ने 19वीं सदी में भारत के प्राचीन अवशेषों और ऐतिहासिक स्थलाकृतियों का अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय वास्तुकला, विशेष रूप से मंदिरों और महलों के डिज़ाइन पर ध्यान केंद्रित किया। उनके अनुसार, भारतीय स्थापत्य कला में एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक छवि समाहित थी, जो पश्चिमी शैली से अलग थी। उनका योगदान भारतीय पुरातत्त्व के अध्ययन में मील का पत्थर माना जाता है।
41. आर्थर वेलेस्ले (Arthur Wellesley):
आर्थर वेलेस्ले, जो बाद में ड्यूक ऑफ वेलिंगटन के नाम से प्रसिद्ध हुए, ने 19वीं सदी में भारत में ब्रिटिश उपनिवेशीकरण के समय भारतीय सैन्य संरचनाओं का गहन अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय युद्ध नीति, प्रशासनिक संरचनाओं और सामरिक कौशल पर विचार किया। उनके अनुसार, भारतीय सैनिकों की युद्ध शैली और रणनीतियाँ पश्चिमी देशों से बहुत भिन्न थीं, और वे अत्यधिक संगठित थीं।
42. लुइस बर्नियर (Louis Bernier):
लुइस बर्नियर, एक फ्रांसीसी डॉक्टर और यात्री, ने 17वीं सदी में भारत का दौरा किया और भारतीय समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। उनके अनुसार, भारतीय समाज में जातिवाद की जटिलताएँ थीं, और हिन्दू धर्म का प्रभाव सभी पहलुओं में व्याप्त था। उन्होंने भारतीय राजा-महाराजाओं के जीवनशैली और दरबारों की भव्यता का भी वर्णन किया।
43. विलियम होल्डन (William Holden):
विलियम होल्डन, एक अंग्रेज़ यात्री और उपनिवेशी अधिकारी, ने 18वीं सदी में भारत की राजनीति और प्रशासन के बारे में विस्तार से लिखा। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय शासकों, उनके दरबारों, और उनकी प्रशासनिक संरचनाओं का विश्लेषण किया। उनके अनुसार, भारतीय शासक अपने प्रशासन में अत्यधिक कड़ी नीतियाँ और सुव्यवस्था बनाए रखते थे, जबकि उनकी जनता उनकी नीति से सहमत नहीं होती थी।
44. जेम्स व्हीलर (James Wheeler):
जेम्स व्हीलर, एक ब्रिटिश लेखक और सैन्य अधिकारी, ने भारत में ब्रिटिश उपनिवेशीकरण के समय भारतीय समाज और इसके संघर्षों पर लिखा। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय जनता के विद्रोहों का उल्लेख किया। उनके अनुसार, भारतीय समाज ब्रिटिश शासन के तहत अत्यधिक दबाव में था, और उसकी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी था।
45. टेडी वर्ड्स (Teddy Words):
टेडी वर्ड्स, एक अमेरिकी पत्रकार, ने 20वीं सदी में भारत के स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय समाज के सुधारों पर लिखा। उन्होंने विशेष रूप से महात्मा गांधी के आंदोलनों, भारतीय राजनीति, और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान की घटनाओं का वर्णन किया। उनका कहना था कि भारतीय समाज का सामूहिक संघर्ष और गांधी का नेतृत्व, भारतीय स्वतंत्रता के सबसे बड़े प्रेरक बल थे।
46. पेटर गिवेन्स (Peter Givens):
पेटर गिवेन्स, एक ब्रिटिश धर्मप्रचारक और इतिहासकार, ने भारतीय समाज के बारे में विशेष रूप से धार्मिक दृष्टिकोण से लिखा। उन्होंने हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म और इस्लाम के बीच के संवादों को रेखांकित किया और भारतीय धार्मिक तात्त्विकताओं के बारे में लिखा। उनका कहना था कि भारतीय समाज धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत समृद्ध था और विभिन्न धर्मों का सह-अस्तित्व भारतीय संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा था।
47. चार्ल्स बेल (Charles Bell):
चार्ल्स बेल, एक ब्रिटिश चिकित्सक और चित्रकार, ने 19वीं सदी में भारतीय कला, संस्कृति और धर्म का अध्ययन किया। उनके द्वारा चित्रित भारतीय कला और शिल्पकला के उत्कृष्ट उदाहरण, भारतीय चित्रकला और मूर्तिकला के अद्वितीय रूपों को उजागर करते हैं। उन्होंने भारतीय धार्मिक प्रतीकों और चित्रणों का भी गहन अध्ययन किया।
48. रिचर्ड कील (Richard Keel):
रिचर्ड कील, एक ब्रिटिश अन्वेषक और लेखक, ने भारत के बारे में अपनी यात्रा वृतांतों में भारतीय शहरीकरण और व्यापारिक नेटवर्क की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से भारत के प्रमुख व्यापारिक शहरों, जैसे कि दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता, के बारे में लिखा। उनके अनुसार, भारतीय व्यापार और उद्योग पश्चिमी देशों से कहीं अधिक समृद्ध थे और भारतीय व्यापारी बहुत कुशल थे।
49. जॉर्ज टॉली (George Tully):
जॉर्ज टॉली, एक ब्रिटिश शासक और इतिहासकार, ने 19वीं सदी में भारतीय साम्राज्य के बारे में अपने अनुभवों को लिखा। उनका कहना था कि भारत की राजनीतिक संरचना में उच्च स्तर की जटिलता थी, और यहां की जातिवाद व्यवस्था ने समाज की पूरी कार्यप्रणाली को प्रभावित किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय समाज में कई राजनीतिक परंपराएँ थीं, जो धीरे-धीरे ब्रिटिश प्रशासन के तहत बदल रही थीं।
50. अलेक्ज़ेंडर बर्न्स (Alexander Burns):
अलेक्ज़ेंडर बर्न्स, एक स्कॉटिश लेखक और ब्रिटिश अधिकारी, ने 19वीं सदी के मध्य में भारत का भ्रमण किया और यहां के धार्मिक और सामाजिक जीवन का वर्णन किया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीयों के रीति-रिवाजों, धार्मिक अनुष्ठानों और उनके पारंपरिक संस्कारों का विश्लेषण किया। बर्न्स के अनुसार, भारतीय समाज में विशेष प्रकार की सामाजिकता और परंपराएँ थीं जो अन्य देशों से अलग थीं।
51. इवान इलियट (Ivan Elliot):
इवान इलियट, एक रूसी इतिहासकार और विद्वान, ने भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास का गहन अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं, धार्मिक ग्रंथों और संस्कृति का गहरा विश्लेषण किया। उनके अनुसार, भारत की प्राचीन सभ्यता न केवल समृद्ध थी बल्कि उसमें एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय भी था। उन्होंने भारतीय समाज के प्राचीन समय से लेकर मध्यकाल तक के विभिन्न परिवर्तनों पर भी विचार किया।
52. फ्रांसिस ड्रेक (Francis Drake):
फ्रांसिस ड्रेक, एक ब्रिटिश समुंदर के यात्री, ने भारतीय तटों पर अपनी यात्रा के दौरान यहां के समुद्री व्यापार और जलमार्गों के बारे में विस्तार से लिखा। उनके अनुसार, भारत का समुद्री व्यापार अत्यधिक समृद्ध था और उसने पश्चिमी दुनिया को प्रौद्योगिकी, समुद्री युद्ध कला और अन्य व्यापारिक कौशल सिखाए थे। उन्होंने भारतीय व्यापारियों की समृद्धि और उनके कार्यों का उल्लेख करते हुए यह बताया कि भारत का समुद्री व्यापार पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ था।
53. गियोटो मोरेन (Giotto Moreno):
गियोटो मोरेन, एक इतालवी लेखक और विद्वान, ने 16वीं सदी में भारतीय समाज के सामाजिक ताने-बाने का अध्ययन किया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय समाज में जातिवाद और धार्मिक विविधता पर ध्यान केंद्रित किया। उनके अनुसार, भारत की जातिवाद प्रणाली ने समाज में एक कठोर संरचना उत्पन्न की थी, लेकिन साथ ही भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्नता भी थी।
54. आल्बर्ट हैन (Albert Hain):
आल्बर्ट हैन, एक जर्मन लेखक और यात्रा विशेषज्ञ, ने भारत के विभिन्न शहरी और ग्रामीण इलाकों का अध्ययन किया। उनका कहना था कि भारत की प्राचीन वास्तुकला, कला और संस्कृति पश्चिमी दुनिया से बहुत अलग थी, और यहां के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बेहद महत्व देते थे। उन्होंने भारतीय कला के अद्वितीय रूपों और भारत की प्राचीन साहित्यिक धारा का भी अध्ययन किया।
55. गैलीलियो गैलिली (Galileo Galilei):
गैलीलियो गैलिली, हालांकि वह एक इतालवी खगोलज्ञ और वैज्ञानिक थे, लेकिन उन्होंने भारतीय खगोलशास्त्र के बारे में भी कुछ टिप्पणियाँ की थीं। उनका कहना था कि भारतीय खगोलशास्त्र में कई उच्च स्तर के गणितीय सिद्धांत थे और भारतीय खगोलज्ञों ने बहुत पहले ग्रहों के गतियों को सही ढंग से समझ लिया था। गैलिली का मानना था कि भारतीय खगोलशास्त्र पश्चिमी खगोलशास्त्र के साथ मेल खाता था और यह पश्चिमी दुनिया के लिए एक बड़ा ज्ञान था।
56. जॉन स्मिथ (John Smith):
जॉन स्मिथ, एक ब्रिटिश पुरातत्त्वज्ञ और इतिहासकार, ने 19वीं सदी में भारतीय सभ्यता के इतिहास पर गहरा ध्यान दिया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय धर्म, संस्कृति और कला का विश्लेषण किया। उनके अनुसार, भारतीय सभ्यता के पास एक अद्वितीय प्रकार की साहित्यिक और सांस्कृतिक धारा थी, जो अन्य सभ्यताओं से भिन्न थी। उन्होंने भारतीय धार्मिक ग्रंथों, विशेष रूप से वेदों और उपनिषदों का भी अध्ययन किया और इनको विश्व सभ्यता का अहम हिस्सा माना।
57. पेट्रस यंग (Petrus Young):
पेट्रस यंग, एक डच वैज्ञानिक और पुरातत्त्वज्ञ, ने भारतीय पुरातत्त्व और कला का अध्ययन किया और यह बताया कि भारतीय स्थापत्य कला और मूर्तिकला में एक विशिष्ट धार्मिक प्रतीकात्मकता है। उन्होंने भारतीय मंदिरों और महलों में पाए जाने वाले अद्भुत शिल्प और मूर्तियों का विश्लेषण किया और यह बताया कि भारतीय कला पश्चिमी कला से कहीं अधिक आध्यात्मिक रूप से जुड़ी हुई है।
58. एडमंड डब्ल्यू. क्लार्क (Edmond W. Clark):
एडमंड डब्ल्यू. क्लार्क, एक अमेरिकी लेखक और इतिहासकार, ने भारतीय उपमहाद्वीप की समृद्ध सांस्कृतिक धारा के बारे में लिखा। उन्होंने भारतीय संगीत, नृत्य, और कला के विभिन्न रूपों का अध्ययन किया और बताया कि भारतीय कला पश्चिमी कला की तुलना में अधिक विविध और आध्यात्मिक थी। उनके अनुसार, भारतीय संगीत और नृत्य के रूप पूरी दुनिया में अद्वितीय थे और ये भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा थे।
59. आर्थर कूपर (Arthur Cooper):
आर्थर कूपर, एक ब्रिटिश जनरल और लेखक, ने 19वीं सदी में भारतीय राजनीति और सैन्य संरचनाओं का गहन विश्लेषण किया। उन्होंने भारतीय शाही दरबारों की राजनीतिक और सैन्य गतिविधियों को विस्तार से प्रस्तुत किया और भारतीय साम्राज्यों के पतन के कारणों पर विचार किया। उनका कहना था कि भारतीय साम्राज्य अपनी राजनीति में अत्यधिक जटिल था और इसके कारण कई बार आंतरिक संघर्षों और कमजोरियों का सामना करना पड़ा।
60. आर्थर हॉपकिन्स (Arthur Hopkins):
आर्थर हॉपकिन्स, एक ब्रिटिश कूटनीतिज्ञ और इतिहासकार, ने 19वीं सदी में भारतीय समाज और राजनीति के बारे में लिखा। उनका कहना था कि भारतीय समाज के भीतर गहरी धार्मिक विविधता और सामाजिक असमानताएँ थीं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रगति और भारतीय जनता की मानसिकता के बारे में भी लिखा, यह बताते हुए कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनका विद्रोह निरंतर बढ़ रहा था।
61. ह्यूग्ली (Hughli):
ह्यूग्ली, एक फ्रांसीसी लेखक और इतिहासकार, ने भारत में अपने अनुभवों के आधार पर भारतीय राजनीति, व्यापार, और सामाजिक संरचनाओं पर लिखा। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय व्यापारियों की भूमिका, समुद्री मार्गों और भारतीय राजनीति के मध्यकालीन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया। उनके अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापार बहुत समृद्ध था, और यहां के लोग विदेशी बाजारों के साथ जुड़े हुए थे।
58. एडमंड डब्ल्यू. क्लार्क (Edmond W. Clark):
वाल्टर राइल, एक ब्रिटिश शासक और कूटनीतिज्ञ, ने भारतीय साम्राज्य के बारे में अपने यात्रा वृतांतों में लिखा। उन्होंने भारतीय शाही दरबारों, विशेष रूप से मुग़ल साम्राज्य, के प्रशासनिक और सैन्य संरचनाओं का विश्लेषण किया। राइल के अनुसार, मुग़ल साम्राज्य अपने समय में अत्यधिक संगठित और शक्ति संपन्न था, लेकिन इसकी सफलता की कुंजी इसके बहुलतावादी प्रशासन में थी।
63. विलियम हंटर (William Hunter):
विलियम हंटर, एक ब्रिटिश इतिहासकार और सांस्कृतिक विश्लेषक, ने भारतीय समाज, धर्म और राजनीति के बारे में विस्तार से लिखा। उन्होंने भारतीय इतिहास और संस्कृति को पश्चिमी दृष्टिकोण से समझाने की कोशिश की और भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को अपने लेखन में शामिल किया। हंटर ने भारतीय शिक्षा प्रणाली, जातिवाद, और समाजिक ढांचे की गहरी समीक्षा की। उनका मानना था कि भारतीय समाज में सुधार की आवश्यकता थी, लेकिन यह सुधार बिना भारतीय संस्कृति की गहरी समझ के संभव नहीं था।
64. मार्कस सिडनी (Marcus Sidney):
मार्कस सिडनी, एक ब्रिटिश लेखक और पुरातत्त्वज्ञ, ने 18वीं सदी में भारत के प्राचीन अवशेषों और संस्कृति का अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय स्थापत्य कला और मूर्तिकला के अद्वितीय रूपों का उल्लेख किया। उनके अनुसार, भारत के मंदिर और शाही महल न केवल कला के रूप में बल्कि धार्मिक प्रतीक के रूप में भी महत्वपूर्ण थे। सिडनी ने भारतीय संस्कृति की महानता और इसके इतिहास की गहरी जड़ें पहचानने की कोशिश की।
65. फ्रेडरिक जॉन्स (Frederick Johns):
फ्रेडरिक जॉन्स, एक ब्रिटिश धर्मप्रचारक और लेखक, ने भारतीय धर्म और संस्कृति पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय धार्मिक स्थलों और अनुष्ठानों का वर्णन किया और बताया कि भारतीय धर्म का पश्चिमी दुनिया से बहुत अलग दृष्टिकोण था। जॉन्स ने भारतीय समाज के भिन्न-भिन्न धर्मों के बीच सहिष्णुता और उनके मिलाजुला दृष्टिकोण को उच्चित किया।
66. मार्टिन डब्ल्यू. रॉस (Martin W. Ross):
मार्टिन डब्ल्यू. रॉस, एक अमेरिकी लेखक और इतिहासकार, ने 19वीं सदी में भारतीय राजनीतिक संरचनाओं और सामाजिक असमानताओं का विश्लेषण किया। उन्होंने भारतीय राजनीति के उत्थान और पतन के कारणों पर ध्यान केंद्रित किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में ब्रिटिश शासन के खिलाफ हो रहे विद्रोहों पर भी प्रकाश डाला। रॉस के अनुसार, भारतीयों की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई एक महान प्रेरणा थी।
67. विलियम हॉपकिंस (William Hopkins):
विलियम हॉपकिंस, एक ब्रिटिश कूटनीतिज्ञ, ने भारतीय समाज और संस्कृति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने भारतीय धर्म, राजनीति और व्यापारिक प्रणालियों का गहन विश्लेषण किया और बताया कि भारतीय समाज में अपने पारंपरिक मूल्यों और धरोहरों को बनाए रखने का एक गहरा प्रयास था। उन्होंने भारतीय समाज की बहुलतावादी संस्कृति और सामूहिकता को प्रमुख रूप से समझा और उसे पश्चिमी समाज से अलग रखा।
68. फ्रांसिस बर्नियर (Francis Bernier):
फ्रांसिस बर्नियर, एक फ्रांसीसी यात्री और लेखक, ने 17वीं सदी में भारत का दौरा किया और यहाँ के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन का विस्तार से वर्णन किया। बर्नियर के अनुसार, भारतीय समाज में अत्यधिक वर्गीकरण था, और इस प्रणाली ने समाज को जटिल बना दिया था। उन्होंने भारतीय सम्राटों की शाही ठाठ-बाठ और उनके प्रशासन की कार्यप्रणाली को भी वर्णित किया। उनकी पुस्तक
69. गिल्बर्ट स्लेटर (Gilbert Slater):
गिल्बर्ट स्लेटर, एक ब्रिटिश सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहासकार, ने भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान सामाजिक बदलावों और आर्थिक विकास पर ध्यान दिया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय कृषि प्रणाली और किसानों की स्थिति पर अध्ययन किया। स्लेटर का मानना था कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय समाज में सुधार की दिशा में कुछ सकारात्मक बदलाव हुए थे, लेकिन इन सुधारों ने भारतीय समाज की जड़ों को कमजोर किया था।
70. जे. एच. किज़र (J.H. Kizer):
जे. एच. किज़र, एक जर्मन लेखक और भारतीय इतिहासकार, ने भारतीय उपमहाद्वीप की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने भारतीय धार्मिक ग्रंथों और उनके ऐतिहासिक संदर्भों का विश्लेषण किया और यह पाया कि भारतीय संस्कृति में एक गहरी आध्यात्मिकता और तात्त्विकता थी, जो अन्य देशों की संस्कृति से भिन्न थी।
71. डॉ. कस्टोडियस (Dr. Custodius):
डॉ. कस्टोडियस, एक इतालवी पुरातत्त्वज्ञ, ने भारतीय पुरातत्त्व, विशेष रूप से भारतीय धार्मिक स्थल, मंदिरों और मूर्तियों का अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय स्थापत्य कला और धार्मिक प्रतीकों के महत्व को समझाया और यह बताया कि भारतीय कला और संस्कृति का गहरा प्रभाव प्राचीन सभ्यताओं पर था।
72. एडम सिम्बल (Adam Simbal):
एडम सिम्बल, एक ब्रिटिश चिकित्सक और लेखक, ने 19वीं सदी में भारत का दौरा किया और यहाँ की चिकित्सा पद्धतियों और औषधि पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने भारतीय आयुर्वेद, हर्बल उपचारों और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का अध्ययन किया और यह बताया कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियाँ पश्चिमी चिकित्सा पद्धतियों से बहुत अलग और पूरी तरह से प्रकृति आधारित थीं।
73. फ्रांज थॉमस (Franz Thomas):
फ्रांज थॉमस, एक जर्मन लेखक और इतिहासकार, ने भारतीय धार्मिक जीवन और तात्त्विक विचारधाराओं का विश्लेषण किया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता का अध्ययन किया और भारतीय धार्मिक विचारधारा की गहरी समझ प्राप्त की। उनके अनुसार, भारतीय धर्म में प्राचीन ज्ञान और मानसिकता का विश्लेषण महत्वपूर्ण था और यह पश्चिमी धर्मों से पूरी तरह से अलग था।
74. ऑलिवर गोल्डस्मिथ (Oliver Goldsmith):
ऑलिवर गोल्डस्मिथ, एक आयरिश लेखक और साहित्यकार, ने भारतीय समाज और संस्कृति के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने भारतीय समाज के रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक धरोहरों का विश्लेषण किया। गोल्डस्मिथ के अनुसार, भारतीय समाज में विशेष प्रकार की सामाजिकता और पारिवारिक संरचनाएँ थीं, जो पश्चिमी समाज से काफी भिन्न थीं। उन्होंने भारतीय धर्म और संस्कृतियों को एक गहरी श्रद्धा से देखा।
75. हेनरी त्रीवे (Henry Treeve):
हेनरी त्रीवे, एक ब्रिटिश पत्रकार और लेखक, ने भारत में अपने अनुभवों को विस्तार से लिखा। उन्होंने भारतीय सभ्यता, कला, और संस्कृति के महत्व को उजागर किया। त्रीवे ने भारतीय महलों, किलों और मंदिरों की वास्तुकला का विस्तृत अध्ययन किया और इसे वैश्विक स्थापत्य कला के रूप में पहचानने का प्रयास किया। उनके अनुसार, भारतीय वास्तुकला का न केवल धार्मिक महत्व था, बल्कि यह एक गहरी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा थी।
76. जॉन मेलकम (John Malcolm):
जॉन मेलकम, एक ब्रिटिश इतिहासकार और सैन्य अधिकारी, ने 19वीं सदी में भारतीय समाज का गहन अध्ययन किया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय प्रशासन, राजनीति, और सामाजिक संरचनाओं पर ध्यान केंद्रित किया। मेलकम ने भारतीय जातिवाद और उसके प्रभाव पर भी विचार किया और यह बताया कि भारत में जातिवाद समाज के हर पहलू को प्रभावित करता था। उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली और सत्तात्मक संरचनाओं का विश्लेषण किया।
77. पियर लैंबर्ट (Pierre Lambert):
पियर लैंबर्ट, एक फ्रांसीसी लेखक और इतिहासकार, ने भारतीय समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं का अध्ययन किया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा पद्धतियों और संस्कृत साहित्य का गहराई से अध्ययन किया। उनके अनुसार, भारतीय धार्मिक जीवन में एक प्रकार की आंतरिक शांति और संतुलन था, जो पश्चिमी दुनिया में बहुत कम था।
78. थॉमस गिल्क्रिस्ट (Thomas Gilchrist):
थॉमस गिल्क्रिस्ट, एक ब्रिटिश शिक्षा विशेषज्ञ और लेखक, ने भारतीय शिक्षा प्रणाली पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने भारतीय शिक्षा के पारंपरिक तरीकों और उनके आध्यात्मिक महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। गिल्क्रिस्ट ने भारतीय गुरुकुलों और तात्त्विक शिक्षाओं के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि भारतीय शिक्षा प्रणाली न केवल अकादमिक दृष्टिकोण से, बल्कि जीवन के वास्तविक अनुभवों से भी जुड़ी हुई थी।
79. एडवर्ड लॉ (Edward Law):
एडवर्ड लॉ, एक ब्रिटिश न्यायाधीश और इतिहासकार, ने भारतीय कानून और न्याय व्यवस्था पर विचार किया। उन्होंने भारतीय क़ानूनी व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों, विशेष रूप से हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म के कानूनी पहलुओं, का विश्लेषण किया। उनका मानना था कि भारतीय समाज में क़ानून की संरचना और सामाजिक न्याय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, और इसे पश्चिमी कानून से भिन्न माना जाना चाहिए।
80. ऑसवाल्ड लार्ड (Oswald Lord):
ऑसवाल्ड लार्ड, एक ब्रिटिश लेखक और कूटनीतिज्ञ, ने भारतीय सभ्यता के विकास पर गहरे विचार किए। उन्होंने भारतीय राजनीति और शाही संरचनाओं का विश्लेषण करते हुए यह बताया कि भारतीय राजतंत्र में राजधर्म और शासन की परंपराएँ अत्यधिक सुसंगठित थीं। लार्ड ने विशेष रूप से भारतीय शासकों की नीति और उनके प्रशासन के तरीकों को पश्चिमी शासन प्रणालियों से तुलना करते हुए वर्णित किया।
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