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उपवर्जित आय
jp Singh 2025-06-04 21:41:58
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उपवर्जित आय

उपवर्जित आय
उपवर्जित आय
उपवर्जित आय वह आय है जो किसी व्यवसाय या व्यक्ति ने किसी सेवा, बिक्री, या निवेश के माध्यम से अर्जित की है, लेकिन उसका भुगतान अभी बाकी है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी ने दिसंबर में किसी ग्राहक को सेवा प्रदान की, लेकिन भुगतान जनवरी में प्राप्त होगा, तो दिसंबर में यह आय उपवर्जित आय के रूप में दर्ज की जाएगी। यह आय बैलेंस शीट में "उपवर्जित आय" या "प्राप्य खाते" (Accounts Receivable) के तहत दिखाई देती है।
उपवर्जित आय के उदाहरण
ब्याज आय: यदि किसी ने बैंक में सावधि जमा (Fixed Deposit) की है और ब्याज सालाना भुगतान किया जाता है, तो लेखा अवधि के अंत में अर्जित लेकिन अप्राप्त ब्याज उपवर्जित आय है।
किराया: यदि कोई मकान मालिक किराया मासिक के बजाय तिमाही प्राप्त करता है, तो महीने के अंत में बकाया किराया उपवर्जित आय माना जाता है।
सेवा आय: परामर्शदाता, वकील, या अन्य पेशेवर जो सेवाएँ प्रदान करते हैं, लेकिन भुगतान बाद में प्राप्त करते हैं, उनकी आय उपवर्जित होती है।
कमीशन या रॉयल्टी: बिक्री कमीशन या रॉयल्टी जो अर्जित हो चुकी है, लेकिन भुगतान बाकी है।
उपवर्जित आय का महत्व
सटीक वित्तीय चित्र: उपवर्जित आय को दर्ज करना व्यवसाय की वास्तविक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है, क्योंकि यह उस आय को शामिल करता है जो अर्जित हो चुकी है।
लेखांकन सिद्धांतों का पालन: उपचय आधारित लेखांकन (Accrual Accounting) के तहत, आय और व्यय को उनकी अर्जन अवधि में दर्ज करना अनिवार्य है।
कर गणना: भारत में, आयकर अधिनियम, 1961 के तहत, उपवर्जित आय को कर योग्य आय में शामिल किया जाता है, भले ही वह प्राप्त न हुई हो।
प्रबंधन निर्णय: यह व्यवसाय को नकदी प्रवाह (Cash Flow) और भविष्य की आय की योजना बनाने में मदद करता है।
उपवर्जित आय को लेखांकन में निम्नलिखित प्रविष्टि (Journal Entry) के साथ दर्ज किया जाता है:
उपवर्जित आय खाता (Accrued Income A/c) Dr. प्राप्य खाता (Accounts Receivable A/c) Cr. जब आय प्राप्त होती है, तो प्रविष्टि इस प्रकार होती है: नकद/बैंक खाता (Cash/Bank A/c) Dr. उपवर्जित आय खाता (Accrued Income A/c) Cr. यह सुनिश्चित करता है कि आय दो बार दर्ज न हो।
भारत में कराधान
भारत में, आयकर अधिनियम की धारा 5 के तहत, उपवर्जित आय को उस लेखा वर्ष में कर योग्य माना जाता है जिसमें यह अर्जित होती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई ब्याज दिसंबर 2024 में अर्जित हुआ, लेकिन मार्च 2025 में प्राप्त हुआ, तो यह वित्तीय वर्ष 2024-25 में कर योग्य होगा।
चुनौतियाँ
नकदी प्रवाह की कमी: उपवर्जित आय नकद रूप में उपलब्ध नहीं होती, जिससे व्यवसाय को कार्यशील पूंजी (Working Capital) की समस्या हो सकती है।
गलत अनुमान: यदि आय का अनुमान गलत हो, तो यह वित्तीय विवरणों को प्रभावित कर सकता है।
वसूली जोखिम: उपवर्जित आय का भुगतान न होने पर यह डूबत ऋण (Bad Debt) बन सकता है।
लेखांकन जटिलता: छोटे व्यवसायों, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्रक में, उपवर्जित आय का लेखांकन जटिल हो सकता है।
Conclusion
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